Sunday, February 27, 2022

ग़ज़ल

जुम्मन के घर में फ़ाके की मार देखिए,
समाजवादी की प्लेट में पनीर लबाबदार देखिए।

अपनी चकाचौंध भरी दुनिया में देख सकें,
तो ग़रीब की आँखों का हाहाकार देखिए।

आए हैं विदेश से पढ़ कर नेताजी के लाड़ले,
इनकी अश्लील भाषा के अलंकार देखिए।

बड़ी रिश्वत वाला वो छोटा अफ़सर,
मिलती है उसको प्यार भरी फटकार देखिए।

जी भर कर कोसिए अपनी जननी को,
मिलता है तभी मैग्सेसे पुरस्कार देखिए।

सैफ़ई में फ़िल्मी नाच की झंकार देखिए,
रोशनी में जो दिखे वो अंधकार देखिए।

-- मुकुंद केशोरैया

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