Thursday, October 27, 2011

आओ फिर से दिया जलाएं

नव सृजन करें प्रकाश का,
अंधियारे को दूर भगाएं,
आओ फिर से दिया जलाएं.

हम संस्कृति के वाहक,
सनातन धर्मं के सेनानी,
करके अपना पुण्य प्रबल,
लिख जाएँ एक अमर कहानी.

निर्बल का बनें संबल,
गिरते को ऊपर उठायें,
अपनी सोच को विस्तृत करलें,
संपूर्ण जग को सुखी बनायें.

बन जाएँ हम भी दियें समान,
स्वयं को होम कर समाज में उजियारा लायें,
अपने अहम् को सीमित करके,
पावन पर्व को सफल बनायें.

नव सृजन करें प्रकाश का,
अंधियारे को दूर भगाएं,
आओ फिर से दिया जलाएं.