सौ बार जियूँ, सौ बार मरूँ,
न मिले मोक्ष तो भी न डरूँ।
न मिले मोक्ष तो भी न डरूँ।
आन पड़े जब आन पर,
निज प्राण तुरत न्योछावर करूँ।
सांसारिक क्षणिक प्रलोभन क्या,
निज चमक-दमक में शोभन क्या,
यदि मिल जाए सम्पदा अपार,
फलता-फूलता हो व्यापार,
तब भी ठुकरा दूँ सकल संसार।
लक्ष्य मात्र एक रहे,
मैं दिन चार रहूँ ना रहूँ,
माँ तेरा वैभव अमर रहे।
-- मुकुंद केशोरैया
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