Monday, September 20, 2021

बीता हुआ कल

आदमी बातों से नहीं,
हालातों से परिभाषित होता है। 

वो उन निर्णयों का परिणाम है,
जो उसने लिए - सही और गलत,
और वो भी जो लिए ही नहीं,
जिसका उसे प्रायश्चित होता है। 

हमारे सोचने, कहने और करने में,
वो झलकता है जो बीत चुका, इसलिए
भूत भविष्य में प्रतिबिंबित होता है। 

बीता कल जो हम पर बीता है,
सबके हिस्से है, कम या अधिक,
उससे न कोई रीता है।

असल में यही एक पूँजी है, जो जमा है,
और यही तज़ुर्बा अपने गूढ़ अर्थ में भविष्य का तर्ज़ुमा है। 

-- मुकुंद केशोरैया

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