हम भी आँखों में सपने,
दिल में हसरतें रखते हैं,
ये तो सुरूर है मोहब्बत-ए-वतन का,
जो जान हथेली पे लिए फिरते हैं.
सुकून से ज़िन्दगी फिर जियेंगे कभी,
अभी तो जान न्योछावर किये चलते हैं.
सूखा नहीं है हमारी आँखों का पानी,
ये तो वक्त का तकाजा कुछ और है,
वरना हम भी आँखों में नमी रखते हैं.
वतन के नाम है अपनी जवानी,
वरना सपने हम भी रूमानी रखते हैं.
दिल में हसरतें रखते हैं,
ये तो सुरूर है मोहब्बत-ए-वतन का,
जो जान हथेली पे लिए फिरते हैं.
सुकून से ज़िन्दगी फिर जियेंगे कभी,
अभी तो जान न्योछावर किये चलते हैं.
सूखा नहीं है हमारी आँखों का पानी,
ये तो वक्त का तकाजा कुछ और है,
वरना हम भी आँखों में नमी रखते हैं.
वतन के नाम है अपनी जवानी,
वरना सपने हम भी रूमानी रखते हैं.