Sunday, June 26, 2011

India v/s भारत

आज एक नहीं दो देश दिखाई देते हैं,
एक को भारत एक को लोग इंडिया कहते हैं.

भारत-पाकिस्तान का विभाजन अंग्रेजों की देन था,
भारत-इंडिया का विभाजन अंग्रेजियत का परिणाम है.
और ये विभाजन राजनितिक न होकर सामाजिक-आर्थिक ज्यादा है, 
पर इसके भी मूल में मेकोले वाली विचारधारा है.

वैसे सच पूछो तो ये विभाजन ज्यादा नहीं चल पायेगा,
किसी-न-किसी दिन, कोई एक दूसरे को निगल जायेगा.
और ज्यादा सम्भावना यही है की भारत को निगला जायेगा,
इसका यह अर्थ ना निकालें की इंडिया का हाजमा दुरुस्त है,
असल में इंडिया की भूख बहुत बड़ी है, वह अपनी इन्द्रियों के आगे पस्त है.

ये तो भारत है जो संयम में विश्वास रखता है,
संसाधनों का दोहन ज़रुरत भर के लिए करता है.
बहुत थोड़े में उसने जीवन-यापन किया है,
जितना लिया उससे कहीं ज्यादा दिया है.

जिस sustainable development की बात आज UN कर रहा है,
वह देन है विनम्र भारत की, जो सदियों से इसे परम्पराओ में ढालता आ रहा है.

भारत की पुनःप्रतिष्ठापना सदिच्छा भर नहीं, समय की आवश्यकता है,
याद रहे दुनिया में मान तब बढेगा जब घर में सम्मान मिलेगा,
समग्र विकास तभी होगा जब नीतिगत निर्णयों में भारत को महत्व मिलेगा. 

8 comments:

  1. main ye nahi kehta ki hume India ki tarah vikas nahi karna chahiye magar main ye bhi nahi kehta ki vikas ki bhook ko hum itna bada bana le ki wo hamare astitva ke liye khatra ban jaye.

    so we should maintain a proper equilibrium between India (which is competing with the world) and Bharat (which has moral values and ethics i.e. vasudhev kutumbkum).

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  2. Bharat hamari sabhyata, hamari sanskriti ko represent karta hai and India represent modernisation of the bharat in all respect but it has some negative aspects on our society.

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  4. very true...development is possible irrespective of it's name bt we will feel more independent loyal and affectionate if the name is Bharat coz we Call Bharat Mata nt India Mata........

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  5. @aditya, we can call her "india mom"........lolz.

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  7. @aditya and mukund we call her Mother India......
    we are not fighting for what should be the name but for the discriminating policies of the government.... which are creating two different nations inside a same border which are giving rise to fatal issues like naxalism etc.....

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  8. @gaurav, good! tune sahi pakda topic ko.......der aaye par durust aaye..!!

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