चिर ज्योति अमर वंदन है,
नूतन प्रकाश अभिनंदन है।
नूतन प्रकाश अभिनंदन है।
मेरे उर में उल्लसित,
या कनक वन में पल्लवित,
दस दिशाओं में महक रहा,
इस माटी का चंदन है।
नूतन प्रकाश अभिनंदन है॰॰॰
या कनक वन में पल्लवित,
दस दिशाओं में महक रहा,
इस माटी का चंदन है।
नूतन प्रकाश अभिनंदन है॰॰॰
भ्रमर गीत में गुंजित,
या खग वाणी में कम्पित,
सब कंठों से बोल रहा,
ऋतुराज का स्पंदन है।
नूतन प्रकाश अभिनंदन है॰॰॰
चिर यौवन अभिलाषित,
या वसंत ऋतु से मद्मादित,
सूर्य, चंद्र जिससे वंचित,
यह जीवन वासंती कुंदन है।
नूतन प्रकाश अभिनंदन है॰॰॰
डमरू, त्रिशूल, गरल कंठ शोभित,
या चिता भस्म में तिरोहित,
सर्व समावेशी, सृष्टि संहारक,
महादेव शिवनंदन है।
नूतन प्रकाश अभिनंदन है॰॰॰
-- मुकुंद केशोरैया